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हज़ारीबाग़ मोहर्रम जुलूस के दौरान बड़ा हादसा,आग से दिखा रहे थे करतब, 15 लोग झुलसे, 6 रिम्स रेफर

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हज़ारीबाग़ मोहर्रम जुलूस के दौरान आग से दिखा रहे थे करतब,

15 लोग झुलसे, 6 रिम्स रेफर

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जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत पौता गांव में मोहर्रम के जुलूस के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। मोहर्रम जुलूस के दौरान आग से करतब दिखाने के दौरान आग अचानक बेकाबू हो गई। आग की चपेट में आने से करीब 15 लोग झुलस गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे अधिक प्रभावित हुए हैं।

जानकारी के अनुसार, जुलूस में जब प्रदर्शन के दौरान डीजल डाला गया, तभी आग अनियंत्रित हो गई और लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

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स्थानीय लोगों की तत्परता से सभी घायलों को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हजारीबाग लाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद 6 गंभीर घायलों को रिम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया है।

विधायक प्रदीप प्रसाद द्वारा संचालित संजीवनी सेवा कुटीर के कर्मियों ने अस्पताल में मोर्चा संभालते हुए घायलों की हर संभव सहायता की। सेवा कुटीर के हटने के बावजूद कर्मचारी मौके पर मौजूद रहे और लोगों की मदद की। प्रशासन की ओर से घटना की जांच शुरू कर दी गई है, वहीं पूरे क्षेत्र में शोक और चिंता का माहौल है।

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम!

छड़वा डैम मुहर्रम का इतिहास

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मुहर्रम इस्लाम के चार पाक महीनों में से एक है, जिसमें नेक काम किए जाते हैं। जरूरतमंदों की मदद की जाती है और मुहर्रम के 9वें और 10वें दिन रोजा रखा जाता है। मुहर्रम का 10वां दिन यानी आशूरा त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कई जगहों पर ताजिया भी निकाला जाता है।

हजारीबाग में मुहर्रम का जुलूस, मुस्लिम महीने के पहले दिन से शुरू होकर, 8वीं, 9वीं और 10वीं मुहर्रम को पारंपरिक छड़वा मैदान में निकाला जाता है।खास तौर पर 10वीं मुहर्रम (आशूरा) के दिन, ताजिया को दफनाने के लिए कब्रिस्तान ले जाया जाता है।

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मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है और इसे शोक और मातम के महीने के रूप में मनाया जाता है। मुहर्रम के महीने में, शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं, जिन्होंने कर्बला के युद्ध में अपनी जान गंवाई थी।

मुहर्रम के जुलूस में, लोग काले कपड़े पहनते हैं और अपने सीने पीटते हुए और "या हुसैन" और "या अली" जैसे नारे लगाते हुए शहर की सड़कों पर चलते हैं। जुलूस के दौरान, ताजिया भी निकाला जाता है, जो हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व होता है।

हजारीबाग में मुहर्रम का जुलूस एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।

छड़वा डैम मैदान में कटकमसांडी ,कटकमदाग, इचाक ,सदर,प्रखंड के विभिन्न मौजा के 24 अखाड़े धारी बलियंद,गदोखर,हेदलाग,पकरार ,नवादा ,डांड ,पिचरी,भूसवा,कवातू,पबरा,हरिना,रोमी, रोमी दो,खुटरा,डुकरा,लुपुंग,सुलमी,सारुगारू,डुमरोन,मंडई, कंचनपुर के इस्लाम धर्मावलंबी गगनचुंबी निशान ताजिया एवं गाजे-बाजे के साथ जुलूस के शक्ल में छड़वा डैम पहुंचते है।पूरा छड़वा डैम परिसर खचाखच भर जाता है। मातमी धुन एवं या हुसैन या अली के नारों से पूरा मेला मैदान परिसर गुंजने लगता है। लोगों ने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र के साथ खेल करतब का प्रदर्शन किया जाता है।

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