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राज्यपाल ने दिया आदेश* *कॉलेज में अब नहीं होगी इंटर की पढ़ाई*

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राज्यपाल ने दिया आदेश* *कॉलेज में अब नहीं होगी इंटर की पढ़ाई*

क्या है वजह आईए जानते हैं।

वर्तमान में पूरे देश के एजुकेशन सिस्टम में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जा रहा है ।शिक्षा प्रणाली में नई नीति को लागू किया गया है।यह नई शिक्षा नीति वर्ष 2020 में ही देश में लागू कर दी गई थी l। परंतु हम जानते हैं कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जिसमें राज्यों की भी सहमति आवश्यक होती है। इसीलिए अब इसे धीरे-धीरे सभी राज्य भी इस नीति को अपना रहे हैं। और अपने राज्यों में भी नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम कोर्स का निर्माण कर रहे हैं।इसके पहले नई शिक्षा नीति 1986 व संशोधित नियमावली(1992)के आधार पर शिक्षा प्रणाली संचालित हो रही थी। देश में केंद्र की नरेंद्र मोदी के सरकार ने शिक्षा में व्यापक परिवर्तन और आवश्यकता समझते हुए नई शिक्षा नीति 2020 को पूरे देश भर में लागू किया।

इस नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा तक में बदलाव होंगे। स्कूली स्तर की शिक्षा 5+3+3+4 के नियम के आधार पर चलेगी।जबकि पहले की शिक्षा व्यवस्था 10+2+3 थी।

इसी नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कॉलेज से इंटर की पढ़ाई को पूरी तरह से बंद करने का आदेश झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष गंगवार ने दिया है। चुकी झारखंड में नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। बताते चले कि इससे पहले झारखंड के अलग-अलग यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए कॉलेज में इंटर की पढ़ाई होती थी।वर्तमान में भी कुछ कॉलेज में इंटर की पढ़ाई हो रही है।परंतु कल 3 जून 2025 को राज्यपाल के आदेश के अनुसार अब झारखंड के किसी भी कॉलेज में इंटर की पढ़ाई नहीं होगी।

इस आदेश पर जोहर हजारीबाग के प्रतिनिधि ने हजारीबाग जिला के अलग-अलग लोगों विद्यार्थियों शिक्षकों कर्मचारियों से बात की और इस विषय पर उनके राय जानने का प्रयास किया,

अनिल कुमार कहते है कि यह निर्णय सही नहीं है, इससे कई छात्र छात्राएं पढ़ाई से वंचित रह जायेंगे क्योंकि सरकारी +स्कूल में सीटें कम है और बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

सिलवार निवासी मोहम्मद मिराज का कहना है कि इस निर्णय को लेने से पहले सरकारी प्लस टू स्कूलों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।

हिमांशु कुमार(सांस्कृतिकर्मी व युवा लेखक) का कहना है कि इस निर्णय को लेने से पहले नए विकल्प का सृजन किया जाना बहुत जरूरी है। केवल नीतियों को लागू कर देने से नहीं होता है उसके सफल संचालन के लिए वास्तुगत स्थिति को भी निर्मित करना होता है।

मटवारी निवासी संदीप शर्मा कहते हैं की पूरी तरह से कॉलेज से इंटर की पढ़ाई को बंद नहीं करना चाहिए। इसका प्रभाव औसत अंक लाने वाले छात्रों पर अधिक पड़ेगा क्योंकि कॉलेज में नामांकन बंद होने से स्कूलों में उतनी अधिक सीट नहीं है।जिससे कि सभी छात्र-छात्राओं का नामांकन हो पाएगा। ऐसे में वह मजबूरन प्राइवेट इंटर कॉलेज में पढ़ने को मजबूर होंगे।

शिक्षक विद्याधर कहते है कि अचानक से यदि इस नीति को लागू किया जाता है तो प्राइवेट निजी शिक्षण संस्थाओं का मनोबल पड़ेगा क्योंकि इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था पूर्व से नहीं की गई है।

छात्रा खुशबू कहती है कि अभी फिलहाल कॉलेज में इंटर की पढ़ाई जारी रहनी चाहिए जब तक की उचित व्यवस्था सरकार की तरफ से नहीं किया जाता है दूसरी तरफ शहरों में रहने वाली लड़कियों के लिए हजारीबाग में कुछ सीमित कॉलेज है जहां इंटर की पढ़ाई होती है और सरकारी प्लस टू स्कूल की संख्या उतनी नहीं है जितने में सभी का नामांकन हो पाए।

छात्र प्रतिनिधि रविंद्र कुमार कहते है कि वे इस आदेश का विरोध करते है क्योंकि + 2 सरकारी स्कूलों में अभी भी प्रयाप्त मात्रा में शिक्षक नहीं हैं, बच्चों के लिए सभी प्रकार की प्रयाप्त शैक्षिक सुविधाएं की अभाव है।

ऐसे में बच्चों की पढ़ाई स्कूलों में कैसे हो पाएगी ?

सरकार इस तरह की फैसला से प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दे रही है। जो मनमानी तरीके से फीस लेती है।लोग मजबूर हो कर प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेकिन गरीब और मिडिल क्लास लोगों के बच्चों की पढ़ाई कैसे हो पाएगी ये सोचने की विषय है।

सरकार के द्वारा बिना किसी प्रयाप्त सुविधा के अचानक से इस तरह की निर्णय लेना बहुत ही गलत है । राज्यपाल को पहले वास्तविक स्थिति की जानकारी लेनी चाहिए।

रिसर्च स्कॉलर राजेश कुमार का कहना है कि कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद होने से प्राइवेट महाविद्यालयों को फ़ायदा होगा। ग़रीब छात्र छात्राएँ होंगे शिक्षा से दूर । जब तक नामांकन के लिए विकल्प तैयार न हो तब तक कॉलेजों में प्लस टू पढ़ाई होते रहना चाहिए।

शिक्षिका अंशु ने कहा कि इंटर की पढ़ाई वैसे तो स्कूलों में होनी चाहिए परंतु वास्तुगत स्थिति को देखा जाए तो यह पूरी तरह से संभव नहीं है।

शिक्षक अभ्यर्थी रवि प्रसाद ने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत इंटरमीडिएट (10+2) की पढ़ाई को बंद करने का आदेश आने पर, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शिक्षा नीति में परिवर्तन होने के पीछे कुछ खास उद्देश्य होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को और अधिक लचीला, छात्र-केंद्रित और आधुनिक बनाना है। इस बदलाव से इंटर की पढ़ाई को कॉलेज स्तर पर एकीकृत करने और स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए बेहतर तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु इसे लागू करने की हड़बड़ी में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो जाए और जिसका खम्याजा छात्र-छात्राओं को भुगतना न पड़े

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